अस्टम मे शुक्र होने पर जातक पूर्ण जीवन अपनी अभिलाषाओं से घिरा होता है, एक इच्छा ख़त्म नहीं होती की दूसरी जाग जाती है,देखा जाता है की माता पिता के द्वारा सुझाये रिश्तेदार मे ना बंधकर ये अपने लिए स्वंम रिश्ता ढूंढ लेते है,,,, “!
जातक बात बात पर गुस्सा करने का स्वाभाव रखते है, चुकी यह ससुराल पक्ष का भाव है, तथा अचल सम्पति का भाव होने के कारण ससुराल से इन्हे भारी मात्रा मे संपत्ति प्राप्त होती है, “|
कही कही देखा जाता है की जातक अपनी की कामी स्वाभाव के कारण अपने शरीर का ह्वास करते पाए जाते है, जो बाद मे जाकर उन्हें रोगी भी बना देता है, लेकिन किसी किसी जातक को कुंडली की अच्छी अवस्था मे यह दीर्घाऊ भी प्रदान करता है !”””‘
कई ज्योतिष शुक्र के आठवे घर मे अशुभ फल ज्यादा देखते है, जो सही नहीं है,यह घर शुभ फल भी देता है, जो जातक को राजा सामान सुखो का भोग करवाता है, शुक्र और बुद्ध अस्टम मे विराजमान होने पर जातक को धन् की कोई कमी नहीं होती, वो अपनी कार्यछमता और कुशलता से दस को सौ गुना करने वालो मे से होते है, “|
अस्टम भाव मे शुक्र बुद्ध की उपस्थिति मे लक्ष्मीनारायण योग का निर्माण करता है जिससे जातक का जन्म काफी अच्छे और समृद्ध परिवार मे होता है, ऐसे जातक के जीवन का मुख्य उद्देश्य भवन तथा प्रॉपर्टी को बढ़ाना होता है, तथा ये अपने कमाई का ज्यादातर हिस्सा भवन निर्माण, या फिर प्रॉपर्टी पर खर्च करते है,
शुक्र अस्टम भाव मे होने से जातक बचपन मे नाना की संपत्ति का भोग करता है किन्तु बड़े होकर वाह उस स्थान से दूर होता जाता है, |
अस्टम भाव मंगल का भाव है जिसकरण शुक्र मंगल के साथ मिलकर अच्छे योग निर्माण करता है जिससे जातक मिलिट्री मे जा सकते है या फिर कम्प्यूटर छेत्र मे या अन्य आईटी टेक्नोलॉजी के छेत्र मे अपना नाम कमाते है, !”
शुक्र अस्टम होकर रोग तो अवश्य देता है, “किन्तु जवानी मे किये गए कार्यों का फल देने के लिए दीर्घायुता भी प्रदान करता है “!
अस्टम भाव तंत्र मंत्र की शक्ति का भी होता है जिससे जातक इस प्रकार की ब्यर्थ के कामों मे भी कभी कभी उलझा पाया जाता है, अस्टम का शुक्र अपनी माता और नानी को कुछ कस्ट देने वाला भी होता है,,, और ये काफी मेहनती होते है “
उपाए – शुक्र के अच्छे फल प्राप्त करने हेतु, संतोषी माता की उपासना करनी चाहिए, तथा नियमित कुछ दान करे जिससे बुरे प्रभाव नस्ट हो जायेंगे |